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तू मेरे दिल, मेरी जां, मेरे ईमान में है
हमसा आशिक न तेरा कोई इस जहान में है
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दिखाई देता है हर शख्स में तेरा ही अक्स
मिलूँ किसी से भी बस तू ही मेरे ध्यान में है
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मेरी वफा का सिला न दे कोई बात नहीं
मुझे भरोसा है उस पे जो आसमान में है
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हम न होंगे तो करेगा कद्र कौन तेरी
संभल जा अब भी ऐ नादां तू किस गुमान में है
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कहूँ कैसे तेरे इंकार से नहीं दुखता
दिल मुझमें भी वही है जो हर इंसान में है
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भरत मल्होत्रा।
परिचय :-
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
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