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बहरे- रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
मज़हबी आग ने, ईमान जला रक्खा है
अम्न के मुल्क में, तूफ़ान मचा रक्खा है।
मुल्क बर्बाद करेगी ये, सियासत इक दिन
तालिबे इल्म हैं अनुमान लगा रक्खा है।
इस कदर दिल में जमाये, हैं कदम नफ़रत ने
कोई हिन्दू न, मुसलमान बचा रक्खा है।
किस तरह मुल्क, तरक्की ये करेगा मेरा
कर्ज़ के नाम पे, इंसान दबा रक्खा है।
वो मिटा देगा मिरे, मुल्क की ये हस्ती भी
ख़्वाब में उसने ये, अरमान सज़ा रक्खा है।
जिंदगी कौन बड़ी, चीज है जो डर जाएं
हमने तो मौत को, दरबान बना रक्खा है।
#आनंद कुमार पाठक
परिचय: आनंद कुमार पाठक का निवास शहर बरेली के शास्त्री नगर(इज़्ज़त नगर) में है। आपकी जन्मतिथि-४ फरवरी १९८८ तथा जन्म स्थान-बरेली(उत्तर प्रदेश)है। एम.बी.ए. सहित एम.ए.(अर्थशास्त्र) की शिक्षा ली है। नौकरी आपका कार्यक्षेत्र है। आपकॊ पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक मिलना बड़ी उपलब्धि है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य में विशेष रुचि होना है।
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