*दहेज*

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nitendra sinh
आँखो को नम करके माता,
स्वामी से यह बोली हैं।
सोना चांदी पास नही हैं,
ना ही चावल रोली हैं।।
घर में नही हैं रूपया पैसा,
हाल बहुत बेहाल हैं।
पीले हाथ बेटी के कैसे,
करूं यह बङा सवाल हैं।।
मार नही सकता बेटी को,
कैसे पीले हाथ करूं।
लङके वाले मांग जो करते,
कैसे उनके हाथ फरूं।।
मुह खोले वो इतना जितना,
खाने में ना वाते हैं।
कुछ हजार की बात नही हैं,
लाखो की बात सुनाते हैं।।
धर धर कांपे मेरा तन मन,
चिंता बहुत सताती हैं।
रिश्ता कोई मिले ना हमको,
हृदय मध्य चुभाती हैं।।
लाखो रिश्ते टूटकर ऐसे,
कांच की तरह बिखरते हैं।
पुलिस भी छोङ देती हैं उनको,
बिन साबुन के निखरते हैं।।
युवा देश के जन जन तक तो,
बात यही पहुंचाना हैं।
दहेज प्रथा को बंद करो सब,
गान यही दोहराना हैं।।
हैं दुनिया की अजब कहानी,
कोई नही सुनाता हैं।
चुपके से दहेज ले लेते,
भारत यही सुनाता हैं।।
सुधरे कैसे देश हमारा,
कौन करे परहेज हैं।
*भारत* में हैं बिकट समस्या,
लेते सभी दहेज हैं।।

#नीतेन्द्र सिंह परमार ‘भारत’
परिचय : नीतेन्द्र सिंह परमार का उपनाम-भारत है। डी.सी.ए. के बाद वर्तमान में बी.एस-सी.(नर्सिंग) के तृतीय वर्ष की प़ढ़ाई जारी है। आपका जन्म १५ जुलाई १९९५ को बरेठी(जिला छतरपुर, मध्यप्रदेश) में हुआ है। वर्तमान निवास कमला कॉलोनी (छतरपुर)में है। रचनात्मक कार्य में आपके खाते में मुक्तक,गीत,छंद और कविताएं (वीर रस) आदि हैं। शास्त्रीय संगीत एवं गायन में रुचि रखने वाले श्री सिंह मंच संचालन में प्रतिभावान हैं। यह छतरपुर में ही नर्सिंग छात्र संगठन से जुड़े हुए हैं। लेखन और काव्य पाठ के शौकीन नीतेन्द्र सिंह की नजर में समाजसेवा सबसे बड़ा धर्म है, और सबके लिए संदेश भी यही है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।