खुद पे एतवार का
चंद सवालों का
झमेला यहाँ
वक्त-वक्त का मेला रे।
रोजी-रोटी-मकान
का यहाँ झमेला रे।
भूख की जात नहीं
रोजी-रोटी की बात नहीं
नंगे पांव चलते-चलते
छाले का झमेला रे।
तन ढका नहीं
मन पढ़ा नहीं
कह दिया नंगा रे,
बात बात का झमेला रे।
सर्दी गर्मी बरसात
छत की न पूरी आस
ठिठुर ठिठुर कर
आग से बसर कर
होता सवेरा रे
आशा-निराशा का झमेला रे।
अब तो रोजी-रोटी
सबके घर वो भी नहीं
दिन चढे रात ढले
मेहनत कश इंसान कहे
काम का झमेला रे
काम का झमेला रे।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति