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तेरा वाचन जगमोहक सा, वेदों को पीछे छोड़ दिया
वाचन करने वाले ने ऐसा,कौन सा वक्तव्य छोड़ दिया
मीठे बोल से कितनी जनता सुविधाएँ पा जाती है
इन भाषण से क्या युवा पीढ़ी रोजगार पा जाती है
गिने नही जाते ये मुद्दे इन लगातार के भाषण में
कर्णद्वार भी भर जाता है इन बेमतलब की फाकड़ में
कभी कभी तो बिन मौसम के ही होती भाषण की बरसाते
और कभी तो आकस्मिक आती हैं भाषण की भीषण रातें
भाषण में ही कितने कीटाणु उल्टे शब्दों से बाहर आते
गंध में गंदी बिगड़ी बोली का खुला प्रमाण है दे जाते
कई भाषण के लोभी श्रोता भूख इसी की लिये फिरते
पंगत खाकर भाषण की मानों अपना पेट है ये भरते
फिर भी कहता,रजनीश यहाँ कि भाषण का लंगर मत बाँटे
कम वाचन कर भाषण का अब पहले के मुद्दों के वादों को छांटे
#रजनीश दुबे’धरतीपुत्र'
परिचय : रजनीश दुबे’धरतीपुत्र'
की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के के नर्मदापुरम् संभाग के होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l
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