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कटी जो तुम बिन एक उमर थी।
बीती जो तुम संग,वो थी जिंदगी।
किया जो तूने,शायद इशक था ,
की जो मैनें,वो तो थी बंदगी।
तूने जो की,वो थी दिल्लगी
निभाई पर मैने,दिल की लगी।
यकीन के बदले में मिली शर्मिदगी।
कर गया तू साथ मेरे दरिंदगी।
बेवफाओ की ,की तूने नुमाइंदगी।
शर्मिदा रही मुझसे मेरी ही जिंदगी।
#सुरिंदर कौर
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