लिखने का अधिकार मिला

0 0
Read Time2 Minute, 22 Second
reeta sinh
मनुज श्रेष्ठ के कर कमलों को
लिखने का अधिकार मिला
माँ श्वेता का वरदान मिला
लेखनी को सम्मान मिला
शब्दों को अनुपम जहान मिला
उड़ने का अरमान मिला
मन पँखों को आसमान मिला ।
लिखने का अधिकार मिला ।।
सपनों को है आकार मिला
खुशियों का संसार मिला
कल्पना रूप साकार मिला
सबका नेह अपार मिला ।
आशीषों का भंडार मिला
कामना़ को सत्कार मिला ।
मनुज श्रेष्ठ के कर कमलों को
लिखने का अधिकार मिला ।।
#डॉ रीता सिंह
 परिचय –
 डॉ रीता (असि. प्रोफेसर ) 
राजनीति विज्ञान विभाग
एन के बी एम जी ( पी. जी.) कॉलेज ,
चन्दौसी (सम्भल) , उत्तर प्रदेश 
साहित्यिक परिचय –
 ‘अन्तर्वेदना ‘ नाम से एक काव्य संग्रह प्रकाशित ।
 साहित्य अमृत , कादम्बिनी , मुक्ता , सरिता , हस्ताक्षर वेब पत्रिका , प्रेरणा अंशु आदि  पत्रिकाओं , विभिन्न समाचार पत्रों , शोध पत्रिकाओं आदि में काव्य  रचनाओं , आलेखों व शोध पत्रों का प्रकाशन ।
 वर्तमान सृजन , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा , काव्यामृत , शुभमस्तु , प्यारी बेटियाँ , धामपुर के कवि एवं साहित्यकार आदि साझा काव्य संग्रहों  में काव्य रचनाओं का प्रकाशन ।
 नवोदित साहित्यकार मंच , कवितालोक व आगाज़ आदि विभिन्न साहित्यिक मंच द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान से सम्मानित , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा व विभिन्न साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘ काव्य प्रज्ञा ‘  व ‘ साहित्य मनीषी , साहित्य सृजक ‘ आदि ‘सम्मान से सम्मानित , अक्षर प्रकाशन आदि  द्वारा सम्मानित ।
 पता –  नई दिल्ली
 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

"पाना है जो मुकाम वो अभी बाकी है"

Wed Jun 20 , 2018
घायल जिस्म में जान अब भी बाकी है, कहता है पाना है जो मुकाम वो अभी बाकी है। बेशक आज कमज़ोर है घायल है मगर खुदसे लड़ने को  राज़ी है, बहुत तडपा है ज़िन्दगी में आगे और तड़पना पड़े तो कोई गम नहीं के पाना है जो मुकाम वो अभी […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।