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ऐ यार ना कर भरोसा इतना भी,
अक्सर भरोसे टूट जाया करते हैं ।
जो रहते हैं दिल के बहुत करीब,
वो ही अक्सर रूठ जाया करते हैं ।
विश्वास पर गुजारी मैंने तो जिंदगी,
फिर भी लोग राहों में धोखा दे गए ।
जिन पे था रब से भी ज्यादा भरोसा,
वो ही मतलबी बन के दगा दे गए ।
बेइंतिहा करो भले ही विश्वास यारों,
मगर ये इत्मीनान जरूर कर लेना ।
ना हो ”स्पर्श” बाद में पछतावा कहीं,
भरोसे का इम्तिहान जरूर कर लेना।
#सुशील दुगड़ “स्पर्श”अंकलेश्वर(लुहारिया)
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