“माधव तुम्हें आना होगा”

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kumari priyanka
हे माधव!तुमसा कोई कहाँ,
हे माधव!तुम बिन जाऊं कहाँ।
तुम जग के पालनकर्त्ता,
कष्ट निवारक और विघ्नहर्ता।
तुमने इस दुनिया को बनाया,
सबको यहां जीना सिखलाया।
रिश्ते-नाते तुमने बनाया,
उन्हें निभाना भी सिखलाया।
सब अपने हैं!इस दुनिया में,
ये बातें तुमने समझायी।
तुमने पुत्र का धर्म निभाया,
अपनी माँ को मुक्त कराया,
पिता को उनका हक दिलवाया,
उनकी हंसी को वापस लाया।
पापी कंस को मार के तुमने,
इस दुनिया से पाप मिटाया।
राधा को अपनी प्रेयसी बनाकर,
सबको तुमने प्यार सिखाया।
सुदामा को अपने गले लगाकर,
जग को अपनी!दोस्ती दिखलाया।
तुमने द्रोपदी की लाज की बचायी,
सारथी बन अर्जुन की!रथ भी चलायी।
पाप मिटाने को!जग से तुमने,
महायुद्ध महाभारत रचवायी।
तुम हो सबके भाग्य विधाता,
दुखियों के दुःख हरलो दाता।
आज तुम्हें फिर आना होगा,
जग से पाप मिटाना होगा।
सबको एक बनाना होगा,
सबमें प्यार जगाना होगा।
ऐसा नहीं!हुआ तो माधव,
मानव पशु बन जाएंगे,
एक दूजे का!संघार करेंगे,
और नर भक्षी कहलायेंगे,
दुर्व्यवहार और व्यभिचार का,
सब मिल डंका बजायेंगे,
और मुझे तो!लगता है माधव,
की दुनिया भी मिट जाएगी।
तेरी इस दुनिया के प्राणी,
मिट्टी में मिल जाएंगे।
अगर बचानी है इस जग को,
आज तुम्हें फिर आना होगा,
अपने सुदर्शन चक्र से तुमको,
जग पाप मिटाना होगा,
माधव-माधव!माधव-माधव,
आज तुम्हें फिर आना होगा।
             # ” कुमारी प्रियंका”

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