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मुगलों की गलती का एक-एक अक्षर साफ किया था सुन,
सत्रह बार मुहम्मद गोरी हमने माफ किया था सुन।
कुछ फिल्मों से बुलंदियां पाकर तू मद में फूल गया,
खिलजी को बतला महान माँ पद्मा का जौहर भूल गया।
तुम वीरों-वीरांगनाओं की तुलना करने बैठे हो,
झूठ को बतलाकर सच अपना बटुआ भरने बैठे हो।
धर्म ध्वजा लहराने में बिल्कुल भी देर नहीं होगी,
और अब इतिहास को छेड़ेगा तो तेरी
खैर नहीं होगी।
पिछली बार कुछ किया नहीं तो क्या समझा की गौण हैं हम,
गौण नहीं,बस संस्कृति-सभ्यता के नाते मौन हैं हम।
जो इतिहासी उपवन छेदे उन सब कांटों को छाटेंगें,
भंसाली अब कुछ और किया तो गर्दन तेरी काटेंगे॥
#विकास यादव