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पिता साधना है जीवन की
पिता भावना है तरक्की की ।
पिता मुस्कान है बचपन की
पिता आराधना है संस्कार की ।।
पिता परिभाषा है योगासन की
पिता अभिव्यक्ति है जीवन की ।
पिता धरोहर है घर-परिवार की
पिता अनुभूति है अनुशासन की ।।
पिता प्राणायाम-सी ऊर्जा घर की
पिता शीतल छांव है वटवृक्ष की ।
पिता अनमोल कृति है सृष्टि की
पिता आधार शीला है सबकी ।।
# गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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