ऐसी होती है मां…..

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mangal pratap
जब कभी जीवन में कुछ,
गतिरोधक सा बन जाता है।
एक ज्योति जीवन में तब,
प्रतिबिम्ब सा दिख जाता है।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां…..
बेटे का पक्ष लेने के लिए,
वह अनेक उलझनों में पड़ जाती है।
बेटी का पक्ष लेने के लिए,
वह दुनिया से भी टकरा जाती है।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां…..
दुनिया को जन्म देने वाली,
प्रकृति का पोषण करने वाली।
बच्चों को मार्ग दिखलाने वाली,
सारे कष्टों को सह जाने वाली।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां……
धन्य हो जाते हैं वो मानव,
जिन्हें प्रतिपल मां का आशीर्वाद मिले।
निर्धन हो जाते हैं वो मनुष्य,
जिन्हें मां का अडिग अभिशाप मिले।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां…..
मां की ममता अजब निराली,
चाहे दिन हो या हो रात काली।
बच्चों को सुख देने के खातिर,
वह नित बर्तन भी मांजे गली-गली।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां…..
लेकिन फिर भी आज कुल का गौरव,
मां की ममता समझ न पाता।
भ्रम में  सारे रिश्ते-नाते से मुंह मोड़े़,
मां से सहज बात करने में भी इठलाता।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां……
मां की महिमा अपरम्पार अनंत है,
मां बिन इस जीवन का जैसे अंत है।
मां बाप की सेवा हीं परम धर्म है,
इस धर्म के आगे सारे धर्म अधर्म है।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां……
जिसने त्रिदेवों को भी जन्म दिया,
कृष्ण,राम, बुद्ध को भी जीवन दिया।
ऐसे महानता और क्षमा की मुरत है मां,
अतुलनीय काया,माया की सूरत है मां।।
ऐसी होती है मां, वह होती है मां…….

#मंगल प्रताप चौहान

परिचय:  मंगल प्रताप चौहान जी की जन्मतिथि-२० मार्च १९९८ और जन्मस्थली सोनभद्र की पृष्ठभूमि ग्राम अक्छोर, राबर्ट्सगंज (जिला-सोनभद्र ,उप्र) है। राबर्ट्सगंज सोनभद्र के आदर्श इण्टरमीडिएट कालेज से आपने  हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से बी०काम व यू०जी०डी०सी०ए० की शिक्षा प्राप्त किया। ततपश्चात डी०एल०एड० करके अध्यापन के साथ साथ साहित्य क्षेत्र में आप कार्यरत हैं। इसके अलावा एनसीसी,स्काउट गाइड व एनएसएस भी आपके नाम है। आपका कार्यक्षेत्र अध्यापन, लेखन एवं साहित्यिक काव्यपाठ के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता एवं समाज में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जाओं को अपने कलम की लेखनी से उखाड़ फेंकने का पूर्ण रूप से आत्मविश्वास है।अब तक बहुत ही कम समय में आपके नाम कई कविताओं व सकारात्मक विचारों का समावेश है।अब तक आपकी दर्जनों भर रचनाएं हरियाणा, दिल्ली ,मध्यप्रदेश, मुम्बई व उत्तर प्रदेशसे प्रकाशित हो चुकी हैं।

Arpan Jain

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।