वो बोलती हैं अपने समय को बताती हैं समाज की बातें भावनाएँ, पीड़ाएँ और चिन्तन सैकड़ों हज़ारों साल बाद भी दर्शाती हैं हालात उस समय के जब वो लिखी या गढ़ी जा रही थीं वो गाती हैं समाज के गीत को वो आईना दिखाती हैं हर हरकारे को इसीलिए तो […]
काव्यभाषा
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