1
0
Read Time30 Second
लिहाज़
एक झीना सा
पर्दा ही तो है
जिसके सहारे
हम-आप
अपना असली चेहरा
छुपाते फिरते हैं
यह सोच कर-
कोई देख नहीं रहा।
भलाई भी
इसी में है-
यह पर्दा
कायम रहे
वर्ना हकीकत
सरेआम
जो हो जाएगी।
अर्द्धेन्दु भूषण
इन्दौर, मध्यप्रदेश
लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार है।
Post Views:
622