सोने से पहले लिखा गया मेरा वो आखिरी शेर ; एक पूरे सादे कागज पर तुम्हारे नाम का शेर.. रात भर देता रहा आवाजें। और वहीं पड़ी एक कलम थी, कोशिश करती रही जो खुद-ब-खुद लिख जाने की। मैं सोया था, बिस्तर पर एक किनारे, और जो बह रहा था […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
माँ के आंचल में लेकर किलकारी, बोलना सीखते अपनी मातृभाषा। जिसमें बुने जाते हैं मीठे-मीठे रिश्ते, पाकर जिसे पूरी हो हर अभिलाषा। बरगद-सी,अमराई-सी है मातृभाषा, फैली है हमारे अंदर इसकी आभा। समाज,परिवार,देश की मजबूती, गठबंधन बनाए रखती है मातृभाषा। बहुत दुखती है,हिन्दी की अंतरात्मा, जब हम शान से बोलते अंग्रेजी […]
आज फिर दिल ने एक नगमा गाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। उन पुराने पन्नों से धूल सारी उड़-सी गई, सूखी स्याही ने भी कुछ लिखना चाहा है। बुझे चिरागों से रोशनी-सी आई है, खिजा के फूलों ने फिज़ा महकाई है। दिल-ए-तन्हा आज फिर मुस्कुराया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। आज रंगे शमा खिला-खिला-सा है, अंदाजे शोर कुछ महफिल-सा है। प्यासे प्यालों ने जी भर के ज़ाम पाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। […]