हमें कुछ नहीं चाहिए,
बस लड़की संस्कारी चाहिए..
शादी ऐसी कर देना,
दहेज कुछ न देना।
बारात की खातिर,
अच्छी कर देना..
अपनी बेटी को,
जो चाहो दे देना..
बस समाज में
मान रख लेना।
चाहे दहेज कुछ
न देना,
जैसी हो रही है,
शादी ऐसी कर देना..
चाहे दहेज कुछ
न देना।
#संगीता शर्मा
परिचय : संगीता शर्मा मूलतः शाहगंज आगरा में रहती हैं।आप लेखन में पूरी तरह सक्रिय हैं,इसलिए लघुकथा ही नहीं,कहानी,कविता,गीत,ग़ज़ल,छंद,मुक्तक आदि में अपनी भावनाएँ दर्शाती रहती हैं। सम्मान के रुप में आपको मुक्तक मणि,सतकबीर और मानस मणि से प्रशंसित किया गया है। आपकी दो रचनाओं (‘प्यार की तलाश’-कहानी तथा ‘धूप-सी जिंदगी’-कविता) को भी सम्मान मिला है। हिन्दी के साथ ही पंजाबी में भी आपकी लघुकथाएँ प्रकाशित हुई हैं।