“मज़दूर”

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subhodh

आंसू पी जाता हूँ अपने
चट्टानों को तोड़ के
मांगू तुझसे क्या ए नादाँ
मैंही इन रंगों का
एक मात्र सृजन करता रे….

मेरा बचपन हुवा जवान
कब जरूरतों की डाली पे
फिर भी नभ पर द्रष्टि मेरी
और तूफानों के मानिंद- टकराता
नित् नित् चट्टानों से….

धुप में अपनी काया,
पल पल रोज जलाता हूँ
भूख पे अपनी प्रतिदिन ही
मुंह चिड़ाता और
भाग्य से टकराता हूँ….

मेरे पाँवों के छालें
और तन की पीड़ा
कभी मुझको नहीं सताती है
मेरे मन की व्यथा अक्सर
क्षुधा की ज्वाला हराती हैं….

मेरा भीगा तन पसीनें से
देखों दुर्गन्ध मैंकी कैसे छुपाता है
अश्रु से सदेव डूबा ये
मेरा मन देखों केसे
घर-संसार महकाता है….

आंसू पी जाता हूँ अपने
पत्थरों को तोड़ के
क्या मांगू तुझसे ए नादाँ
मैंही इन रंगों का,
एक मात्र स्रजन करता रे…..

परिचय : सुबोध कर्णिक इंदौर (मध्यप्रदेश) के निवासी हैं|इन्होंने इंदौर स्कूल ऑफ़ सोशल वर्क इंदौर से समाजकार्य में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है | विगत 16 वर्ष से समाजकार्य के क्षेत्र में समाज के विभिन्न वर्गों के लिए स्वास्थ्य,शिक्षा,आजीविका एवं स्वच्छ भारत अभियान के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं |आपको कविता लिखने का बेहद शौक है|

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।