रातें आजकल.. आंतकी…. पथरीली और जहरीली भी हो चली, इन्हीं रातों की सुखद हवाएँ.. अचानक ही बैचेन करती, तीली सुलगाती…। दूभर जीना सहती, कांपती धड़कनें.. रोज सुनाती साँसें कैसा अनायास भय, एक चीत्कार… माहौल नया बनाती जिएं तो कैसे ..? मुश्किल बड़ी…। कब तलक रोके कोई चलती राहों का यूँ […]

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बिछड़ी हूँ खुद से,फिर भी जिए जा रही हूँ मैं, अपनी lतलाश अब भी किए जा रही हूँ मैं। बे-वक़्त तेरी याद की आहट से जाग कर, पेवंद लगे ख्वाब सिए जा रही हूँ मैं। एक शोर बन के रह गई सच्चाइयाँ मेरी, आवाज़ पे आवाज़ दिए जा रही हूँ […]

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हमारे रामभरोसे, होली के रंगों से इस कदर घबराते हैं जिस तरह, कोई नई-नवेली दुल्हन चौखट पार करने में पल-पल हिचकिचाती है, या नया-नया नेता आश्वासन देने में अटक-अटक जाता है। हमने भी मन में ठान ली, थोडी़ भंग छान ली.. उनके यहां जा पहुंचे, हाँथों में रंग देख.. उनके […]

हर पल सोना, उलझन दुख.. आफत का रोना, छोड़ो इनसे लाभ न होना। भरते घाव कुरेद रहा था, पिन अन्दर तक छेद रहा था.. हल का भी ऐसा क्या होना, हल से रखे गुरेज रहा था। वर्तमान के, साथ चला हूं.. नहीं भूत को सिर पर ढोना, हर संकट का […]

वाह रे जमाने,तेरी हद हो गई, बीवी के आगे माँ रद्द हो गई। बड़ी मेहनत से जिसने पाला, आज वो मोहताज हो गई.. और कल की छोकरी, तेरी सरताज हो गई.. बीवी हमदर्द, माँ सरदर्द हो गई। वाह रे जमाने तेरी हद हो गई..।। पेट पर सुलाने वाली,पैरों में सो […]

टेसू खिले,कानन में, महुआ महके,वन में.. लो फिर से,फागुन आया, रंग लाया जीवन में। आम बौराया,फिर आने को, कोयल व्याकुल,है गाने को.. भ्रमर प्यासा,रस पाने को, बसंत इतराया,यौवन में। लो फिर से,फागुन आया, रंग लाया जीवन में।। महक उठे,सब बाग़, गूंज उठे,अब फ़ाग.. विरह बड़ी,है आग, अब चैन नहीं,नैनन में। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।