रातें आजकल..
आंतकी….
पथरीली और जहरीली भी हो चली,
इन्हीं रातों की सुखद हवाएँ..
अचानक ही बैचेन करती,
तीली सुलगाती…।
दूभर जीना सहती,
कांपती धड़कनें..
रोज सुनाती साँसें
कैसा अनायास भय,
एक चीत्कार…
माहौल नया बनाती
जिएं तो कैसे ..?
मुश्किल बड़ी…।
कब तलक रोके कोई
चलती राहों का यूँ रोना ..
बिन मौत के मृत समान,
जीवन है बेहाल ..
आजाद देश की कैसी गुलामी..?
दौड़ते कदमों को…
काटता हर एक परिन्दा ..।
उड़ते हौंसले जहाँ,
कट जाते मरघट पर,
सोच हम हो जाते..
दानव बन मानव
करता मानवता हनन..
आखिर क्यों लिया जनम ..
क्यों…??
मानव करता मानव का मरण..।।
#उमा मेहता त्रिवेदी
परिचय : इंदौर में रहने वाली श्रीमति उमा मेहता त्रिवेदी ने एमएससी और बीएड किया हुआ है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख,ग़ज़ल और रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। आपको भारत के प्रतिभाशाली &गौरवशाली साहित्यकार पुरस्कार ‘अमृत सम्मान’ से और कृति प्रकाशन से भी सम्मानित किया गया है। अब तक चार साझा संग्रह प्रकाशित हो गए हैं। आपको ८० प्रतिशत रचनाएँ,लेख एंव ग़ज़ल के साथ ही गाने और व्यंग्य भी लिखने का शौक रखती हैं। लिखना और पढ़ना इनकी उपासना ही नहीं, वरन पसंद भी है। कई वेबसाईट पर भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।