श्रीकृष्ण कहे सुन ले अर्जुन, जो रुप तुझे दिखलाया है, अब से पहले उस दिव्य रुप को, कोई नहीं लख पाया है। इस घोर रुप को लख करके, तू क्यों कर व्याकुल होता है, हे भक्त शिरोमणि प्रेम सहित, तू देख वही जो सोचा है। संजय बोले- सुनिए राजन, यों […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
घर आँगन फुदकती चिड़िया, मेरे मन को भाती चिड़िया। सांझ-सबेरे गाती चिड़िया, नित उठ दाना खाती चिड़िया। कुल्हड़ पानी पीती चिड़िया, बेटी मेरी बनती चिड़िया। फुदक-फुदक के नाच दिखाती, सबका मन बहलाती चिड़िया। जंगल प्रतिदिन जाती चिड़िया, तिनका चुन-चुन लाती चिड़िया। घर में नीड़ बनाती चिड़िया, अंडे-बच्चे पाले चिड़िया। माँ […]
‘अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष’ अंतर्मन की, अभिव्यक्ति है मनोभावों की, सार्थक नियति है कविता। हर्ष विषाद, सबको उकेरे कविता.. हर लम्हे, को जीवंत करे कविता। कभी, अलंकारों से श्रंगारित कविता.. कभी, सादगी से सहज उपजती कविता। मौन, को मुखरित करती कविता.. शब्दों, को लय में पिरोती कविता। इंद्रधनुषी, रंगों का सृजन […]
