चलता रहा, बड़ा हो गया अपने पैरों पर, खड़ा हो गया। शहर दर शहर, घूमता रहा अनुभवों को लिए, चढ़ता रहा। दुनिया भर में, बढ़ता गया शिखर कई, चढ़ता गया। सफलताएं, चरण चूमती रहीं नाम से, आकाश पट गया। कहीं भरोसा, नहीं होता कुछ कमी-सी, लगती है। आँख के कोरों […]

  नए ड्रेस में इठलाती, वो सुन्दर नन्हीं-सी लड़कीl चौराहे पर झूमती गाती, भाग-भागकर चलती लड़कीl छोटा फ्रॉक पहनती, लड़कों के संग खेलती लड़कीl भाई-बहनों से झगड़ती, लड़ाकी चतुर सयानी लड़कीl चंचल नटनी-सी लगती, मटक-मटककर चलती लड़कीl पेड़ों से आम चुराती, बेपरवाह-सी घूमती लड़कीl दो चोटी में स्कूल जाती, नदी पहाड़ […]

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दुविधाओं से घिरा हुआ.. आंखों को मलता हुआ धीरे-धीरे जागता हुआ, खुद को भारतीय करार करता हूँ… अपने जीवन में एक मुद्दे पर दो राय रखता हूँ..l जब मैं आदमी हूँ तो अपने घर की, नारी को अबला एवं कल्पनाओं में सबला करार करता हूँ… पिता हूँ तो अपने पुत्र […]

क्यों अभी से खुद को यूँ संजीदा किया जाए, क्यूँ न फिर से अपने बचपन को जिया जाए.. चलो आज फिर एक गुड़िया का घर बनाएं, और सजाएँ उसे फिर नन्हें सपनों के साथ.. फिर से कराएं वो गुड़िया की शादी,  वो नकली घोड़े,वो नकली हाथी..  वो नकली दूल्हा,वो नकली […]

ऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है; नजर ऊपर तो उठा,अभी पूरा आसमान बाकी है। निर्मल-नील-गगन में गुनगुनाता चल; नित्य-नए सफलता के गीत गाता चल। जाना है जहां तुझे,अभी वो मुकाम बाकी है; नजर ऊपर तो उठा,अभी पूरा आसमान बाकी है। ओस की चादर को चीर के आगे निकल; […]

मैं पतंगा हूँ, शमा पर जान लुटाया करता हूँ। रूप रस का लोभी भंवरा नहीं, तितली हूँ.. पराग कण फैलाया करता हूँ। मैं दरिया हूँ, प्यास बुझाया करता हूँ। खारा समन्दर नहीं, झरना हूँ.. संगीत भी सुनाया करता हूँ। मैं दीपक हूँ, अन्धकार मिटाया करता हूँ। भूख,गरीबी,आतंक का समर्थक नहीं, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।