तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल,
जब आए राह में कोई पत्थर तू घिस-घिसकर ले अपने अंदर,
तू पथिक जिंदगी,बढ़ते चल तू
,
बढ़ते चल तू,बढ़ते चल तू।
तू बना धार को ऐसी रे,
बने रहे निशान तेरे धरती पर
तू बढ़ते चल, तू बढ़ते चल,
तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल।
कितनी गंदगी डाले कोई,
तू सहते चल अपने दम पर..
तू बढ़ते चल तू बढ़ते चल,
तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल.. ।
तू बहती है एक नदी समान,
तू शीतल बन जल के जैसा..
कुछ कर ना चल ऐसा वैसा,
तू बढ़ते चल तू बढ़ते चल।
तू
कुछ गलत न इसके तर्क समझ,
जीवन है एक अनमोल रतन। ।
मिलती है ये तो बहुत जतन,
चल बना निशान नदी जैसा..
जो चलती है तेरे जैसा,
तू बढ़ते चल तू बढ़ते चल.
तू पथिक जिंदगी बढ़ते चल।।।,,,,,
#प्रभात कुमार दुबे