चिन्टू बहुत देर तक उत्सुकता के साथ किताब को उलट-पलट कर देखता रहा फिर वहीं खड़े-खड़े वह एक कहानी को पढ़ने लगा । दुकानदार उसको घूर कर देख रहा था । चिन्टू एक दो दिन में उसकी दुकान पर आता और कोई न कोई किताब मांगता और पढ़ने लगता फिर […]

हो रूप दुर्गा माँ का, दुर्गावती रानी। है नाज हमें तुम पर, ओ रानियों की रानी। खो कर पति को तूने, हिम्मत थी दिखाई। हर विपत्ति से तूने, थी सदा आँख मिलाई। ले बागडोर हाथों में, खुद राज्य था सम्भाला। अपने पराक्रम से, मुगलों को रौंद डाला मुठ्ठी भर सेना […]

वाणी और व्यवहार का दिया कबीर ने ज्ञान। जगजग को संदेश दिया बोलो मीठे वचन तुम। जिस से टल जाते है बड़े बड़े रणभूमि के युध्द। कहत कबीर सारे जग से सत्य अहिंसा पर तुम चलो।। गंगा नदी के तट पर बैठकर कहते संत कबीर। सब जन तुम मिलकर रहो […]

उजड़ा-उजड़ा चमन भीगा-भीगा हर नयन भूखी आधी आबादी झूठी तेरी आजादी वोट लिया हमारा विकास हुआ तुम्हारा महंगा यहां जीवन सस्ता हुआ मरण मेहनत हम करें घर दलाल भरें नेता जी को सब मुफ्त कानून बड़ा सुस्त महल बने तुम्हारे झोपड़े भी न हुए हमारे तुम छलकाओ मदिरा प्याले हमको […]

सीने से लगाकर तुमसे बस इतना ही कहना है। की मुझे जिंदगी भर तुम अपनी बाहों में रखना।। मेरी साँसों में तुम बसे हो दिलपे तुम्हारा नाम लिखा है। मैं अगर खुश हूँ मेरी जान तो ये एहसान तुम्हारा है…।। मुझे आँखो में हरपल तेरी ही एक तस्वीर दिखती रहती […]

ये यौवन क्या है तुम्हारा, उमड़ता हुआ है समंदर। डर लगता है इससे मुझको, कहीं डूब न जाऊं मै अंदर।। ये काली जुल्फे है तुम्हारी, काली घटा भी इनसे हारी। इनको जब तुम झटकती, बिजली इनके आगे मटकती।। ये आंखे क्या है तुम्हारी, नीली झील से भी गहरी। नौका विहार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।