कितना अच्छा होता बचपन, प्यारी रंग-रंगोली, सबके मन को भाती, उनकी हँसी ठिठोली | चंदन कहें बचपन को , या कहें अक्षत रोली, कितनी प्यारी लगती , तुतलाती मीठी बोली | कितना सहज होता , बच्चों का हँसना रोना , सबसे अच्छा लगता उनको, अपना खेल-खिलौना | मर्जी अपनी नहीं […]

स्त्री हिचकियाँ की सखी, साथ फेरों का संकल्प, दुःख-सुख की साथी, एकाकीपन खटकता | परछाई नापता सूरज, पहचान वाली आवाजों में, खोजता मुझे दी जाने वाली, तुम्हारी जानी-पहचानी पुकार | आँगन -मोहल्ले में सूनापन, विलाप के स्वर, तस्वीरों में कैद छवि, सदा बहते अश्रु, तेज हो जाते, तुम्हारी पुण्य तिथियों […]

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यूँ तो कोई काम नहीं था, फिर भी तो आराम नहीं था। तन की ही कीमत ज़्यादा थी, मन का कोई दाम नहीं था। उसने जितना नाम कमाया, जितना उसका नाम नहीं था। अपने घर से अच्छा जग में, कोई और मुक़ाम नहीं था। सोच-इरादे लाखों सारे , बस उनका […]

यह अपने आप में बड़ी खबर है कि, ब्रिटेन के वैज्ञानिक अंग्रेजी के एकाधिकार के विरुद्ध आवाज उठा रहे हैं। युआन गोंजालीज़,विलियम सदरलैंड और तात्सुआ अमानो वैज्ञानिकों ने एक विज्ञान-पत्रिका में लेख लिखकर इस बात पर नाराजी जाहिर की है कि,आजकल विज्ञान संबंधी ज्यादातर शोधकार्य अंग्रेजी में होता है। गैर-अंग्रेज […]

चेतो राख की दबी चिंगारी, जलो अग्नि के शोलों.. अपने दिल के तिरंगे में केशर रंग तुम घोलो। व्यर्थ न जाए ये जवानी, आज गढ़ो तुम नई कहानी.. जहां तुम्हारा पाँव पड़े तो वहीं धरा पर निकले पानी। खोल आँख की पट्टी तुम, अपनी देश भक्ति तोलो.. अपने दिल के […]

एक पढ़ा-लिखा बेरोजगार युवक, नौकरी ढूंढते-ढूंढते हो गया था परेशान.. जाति में ब़ाहम्ण होने के अभिशाप से था हैरान। नेताओं के निजी स्वार्थ ने जनरल के कोटे को, इतना कम कर दिया कि नौकरी मिलना मुश्किल हो गया था, ब़्राह्मण होने का एक फायदा जरुर हुआ जन्मजात ग्यानी.. बुद्धि में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।