कुछ रिश्तों के कोई नाम नहीं होते,
गुमनाम भटकते, अंजाम नहीं होते।
खुले आसमान में उड़ते रहने की सोच,
कोई इनके,आसमानी दायरे नहीं होते।
ख्यालों की धुंध में जीने की हो चाहत,
पलभर की खुशियाँ, हल्की-सी राहत।
हवाओं में तराशे भावनाओं के बादल,
यर्थाथ के झोंके, बिखरता आत्मबल।
जिन्दगी से जो न मिला,चुराने की हसरत,
सभी पहलूओं को खुश रखने की कसरत।
दो कश्तियों पर फंसा जीवन पतवार,
नियति की नदिया बहे विपरीत धार।
सूरज से होते हैं ख्याली से रिश्ते,
सिकुड़ते जीवन में गरमी की किश्तें।
आगोश में लेने की कोशिश बचकाना,
भस्माए हस्ती,ख़ाक का भी न ठिकाना।
कुछ रिश्तों के कोई नाम नहीं होते,
गुमनाम से भटकते, अंजाम नहीं होते।
#लिली मित्रा
परिचय : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने वाली श्रीमती लिली मित्रा हिन्दी भाषा के प्रति स्वाभाविक आकर्षण रखती हैं। इसी वजह से इन्हें ब्लॉगिंग करने की प्रेरणा मिली है। इनके अनुसार भावनाओं की अभिव्यक्ति साहित्य एवं नृत्य के माध्यम से करने का यह आरंभिक सिलसिला है। इनकी रुचि नृत्य,लेखन बेकिंग और साहित्य पाठन विधा में भी है। कुछ माह पहले ही लेखन शुरू करने वाली श्रीमती मित्रा गृहिणि होकर बस शौक से लिखती हैं ,न कि पेशेवर लेखक हैं।