“आज विश्व गौरेया दिवस पर विशेष” चोंच में दाना, उठा उड़ी गोरैया.. चुगाती चूजे। कब आओगी, गौरैया मेरे द्वार.. दाना चुगने। पेड़ पर है, तिनकों का घोंसला.. गौरैया नहीं। नन्हीं गौरैया, फुदक-फुदक कर.. दाना चुगती। मुन्ने के सिर फुदक रहा चूजा.. प्रेम बंधन। अंजुरी भर, प्रेममयी गोरैया.. स्नेहिल स्पर्श। […]