ये रोज हमें आवाज लगाता कौन है, नदी किनारे मीठा गीत गाता कौन है। सुबह नींद से हमें जगाता कौन है, ख्वाब में आता नहीं,ख्यालों में आता कौन है। हमारे नाम से ख़त भिजवाता कौन है, ये रस्ता और वो मंजिल पर पहुँचता कौन है। झूठ बोलकर आया हूँ, तेरे […]
कुछ हैं मेरे सपने, कुछ सच्चे,कुछ कच्चे.. कुछ खट्टे,कुछ मीठे, कुछ सिमटे,कुछ बिखरे। कुछ अनमने,कुछ अनकहे, कुछ दिखलाते,कुछ धुंधलाते.. कुछ कराहना,कुछ मुस्कुराते, कुछ आते,कुछ जाते। समेटना चाहूँ,तो मुमकिन नहीं, सपनों ने ही बिखेरा है मुझको.. आस और आस,न रहा कोई पास, रुक-रुक के आते हैं। बवंडर-सा मचा जाते हैं, कभी […]