कल तुम चली जाओगी इस सहर से, मगर मेरे दिल के सहर में बसोगी सदा। हम दोनों एक दूसरे पर मरते थे कुछ इस तरह, दिल व धड़कन जुदा नहीं हो सकते जिस तरह। इस ज़माने को रास क्यों नहीं आई मोहब्बत हमारी, इश्क के आशियाने को इस जमाने ने […]

अभी-अभी कलम पकड़ूँ कोई कलाम पढूं या कलमा इबादत करूँ आदम की खुदा की बुत परस्ती करूँ गर्मी को सहलाऊँ या की शब्दों से पत्थर पिघलाऊँ। नंगे पांव चलूँ मीलों तक पानी भरने या मेघों पर आस लगाऊं अपने पाँवों के छाले देंखू या परिजन का दर्द थोड़ा-सा सहलाऊँ। अख़बारों […]

भारत में कई प्रकार का मौसम होता है,लेकिन `चरणपादुकीकरण` यानी `चप्पलीकरण` का कोई मौसम नहीं होता। यह पश्चिमी विक्षोभ की तरह कभी भी आ जाता है। बरसता है और चला जाता है। यह परम्परा राजा राम के समय से चली आ रही है। इसका जनक भरत को माना जाता है। […]

युग की है यही पुकार, फिर हो महावीर अवतारl जियो और जीने दो,गूँजे, हर घर,मंदिर,हर द्वार… युग की है यही पुकार, फिर हो महावीर अवतार…l सत्य,अहिंसा धर्म हो, मिट जाए अत्याचारl युग की यही पुकार, फिर हो महावीर अवतार…l हे वीर,अतिवीर,सन्मति, हे महावीर,हे वर्धमानl प्राणियों की सुनो पुकार, कर दो […]

क्षमा भाव मन में धारण,कर ले ओ भोले प्राणी, कर दे क्षमा तू सबको,खुश होगी जिंदगानी …. । नफरत के बीज बोए,काँटों से दिल लगाया, सोचा न एक पल भी,अपनों का दिल दुखाया। … मैं हाथ जोड़कर के,मानूं अपनी गलती, कर दे क्षमा तू  मुझको,खुश होती जिंदगानी.. क्षमा भाव मन […]

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पूरा परिवार इकट्ठा हो पतंग उड़ा रहा थां,पतंग उड़ाते-उड़ाते पत्नी की ओर एक मासूम-सा सवाल आया-रिश्ते भी माँझे की तरह होना चाहिए न…? इतने ही मजबूत…है न…? ‘नहीं प्रिये…!’ जवाब भी मजबूत था। माँझे की तरह नहीं,रेशम की तरह…l ‘क्यों…? रेशम तो कितना नाजुक होता है न ?’ ‘हाँ…! मगर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।