कुछ सुधरो कुछ सम्भलो

0 0
Read Time3 Minute, 4 Second

arun jain

अभी-अभी कलम
पकड़ूँ
कोई कलाम पढूं
या कलमा
इबादत करूँ
आदम की
खुदा की
बुत परस्ती करूँ
गर्मी को सहलाऊँ
या की शब्दों से
पत्थर पिघलाऊँ।

नंगे पांव चलूँ
मीलों तक
पानी भरने
या मेघों पर
आस लगाऊं
अपने पाँवों के
छाले देंखू
या परिजन का
दर्द थोड़ा-सा
सहलाऊँ।

अख़बारों में
कॉलम देखे
इश्तहार सरकारी
विकास ऊपर है
महँगाई पर भारी
देश बदल रहा है
उम्मीदों पर पल रहा है
सब फालतू फ़ोकट में
‘जियो ‘पर चल रहा है।

‘जीने’ की कोई बात नहीं
‘जियो और जीने दो’
महावीर से मुलाकात नहीं
अस्तित्व बचाए
हर कोई
सहअस्तित्व की बात नहीं
चुनाव चूना लगाने के
त्यौहार सभी
व्यवहार पर जाने
कब उतरेगें
गरीबी,बेकारी के
पर कब कतरेंगें।

पैरों के छाले
मुँह तक हो आए हैं
सूखे कंठों में
निवाले कब उतरेगें
एक कंठ विषपायी
अच्छा था
नीलकंठ शिव ही
सच्चा था
नीति नियामक
श्रीकृष्ण क्या अबोध
भोला-भाला बच्चा था
मर्यादा पुरुषोत्तम
श्रीराम राजा कितना
सच्चा था।

कुछ सुधरो
कुछ सम्भलो
कुछ चेतो
कुछ जागो
खड़े-खड़े मत
आसमान ताको
छप्पर फाड़ नहीं
देगा,कोई
समस्या के हल
हल बक्खर से
निकलेंगे।

जमीं आसमान
तभी पिघलेंगे
मेहनत का कोई
तोड़ नहीं है,
अच्छी नीयत की
कोई होड़ नहीं
परिणाम सदा
अच्छे होंगें
प्रयास अगर
सच्चे होंगें।

चल जाग मुसाफिर
रेन भई
अब चैन कहाँ
जो सोवत है
उठो-उठो
उठो-उठो
नव दिवस
नव जोश से
भर जाओ
समय नहीं है
ठहर जाओ।

वार वार
त्यौहार यहां
शेष रहे
रविवार यहां
रस्ता अब तुम
मत देखो
लग जाओ
भिड़ जाओ
हस्ती अपनी
मिटा डालो
तब बस्ती
बनती है
बस्ती बस्ती
नगर नगर
नई हस्ती
निर्मित करती है
सूरज रोज राहों में
उतराएगा
चंदा फफोलों पर
पैरों के
मरहम भी लगाएगा।

जब संकल्प तेरे
खड़े होंगें
असीम आकाश से
बड़े होंगें
हाथ हाथ काम करे

                                                                           #अरुण कुमार जैन

परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

देश की बेटी निर्भया

Mon Apr 10 , 2017
निर्भया देश की बेटी थी, है और हमेशा ही रहेगी.. तुम्हारे दुख दर्द की पीड़ा, हर किसी के दिल में रहेगी। उस पर किए गए दुष्कर्म, दुराचारअत्याचार के.. एक दो चार छः लोगों, को अपराधी नहीं मान सकते हैं। दोषी तो वह सभी हैं, जो कहते हैं मेरे हाथ.. कानून […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।