(व्यक्तित्व/मुंशी प्रेमचंद ) साहित्य की सघन वादियों में कदमों के निशान ऐसे ही नहीं छूटते , बहुत श्रम करना पड़ता है । कालजयी साहित्यकार वही होता है, जिसके कदमों के निशान देख जमाना रास्ता तय करे ! 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही में अजायब राय और आनंद […]

यह सच है कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं पद है । गुरु वह है जिसके पीछे अगर ‘अ’( शून्य, रिक्त, अभाव, नहीं,आदि)  भी लग जाए तो गौरव हो जाता है ।( गुरु+अ =गौरव) #  लेकिन इसके लिए शून्यता के बोध से गुरु के पीछे चलना पड़ता है ,आगे नहीं । […]

           लोकतंत्र की पृष्ठभूमि रचते हुए व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रता को पुरज़ोर रूप में स्थापित किया गया । यह कल्पना की गई कि प्रत्येक व्यक्ति अपने-आप में स्वतंत्र जीवन जीने का संकल्प रखता है और इस संकल्प को प्राप्त करने का अधिकार उसके पास सर्वथा […]

आज के लोकतंत्र में जनता चुनकर जन प्रतिनिधि भेजती है अपने एवं देश के कल्याण हेतु, लेकिन वे जन प्रतिनिधि खुद वहा जाकर जन कल्याण न करके  अपने हित की बात करने लगते हैं। अपने सुख- सुविधा से सम्बन्धित कानून बनाते हैं।इतना ही नहीं बल्कि उस कानून का उल्लंघन भी […]

सतपुड़ा की रानी निखर उठती है जब मेघ डेरा जमाते हैं पर्वतश्रृंखला पर। एक दो बरसात के बाद व्ही-फॉल की जवानी लौट आती है। बस सनसेट पाइंट उदास हो देखता रहता है दूर बादलों की धींगा मस्ती। लगता है गीली लकड़ियों को सुलगा दिया है और धुआँ चित्र विचित्र आकृतियों […]

आज के दौर में सफल होने के लिए आप किसी पर भी निर्भर  नहीं रह सकते। आपको अपना करियर खुद डिजाइन करना होगा। इसके लिए यह पता होना जरूरी है कि किन खूबियों की बदौलत सफलता मिल सकती है। और यह जानने के लिए आपको दुनिया के कुछ सफल लोगों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।