कल तुम चली जाओगी इस सहर से,
मगर मेरे दिल के सहर में बसोगी सदा।
हम दोनों एक दूसरे पर मरते थे कुछ इस तरह,
दिल व धड़कन जुदा नहीं हो सकते जिस तरह।
इस ज़माने को रास क्यों नहीं आई मोहब्बत हमारी,
इश्क के आशियाने को इस जमाने ने तोड़ा था किस तरह..
कल तुम चली जाओगी…….।
आएँगे बहुत से लोग इस दिल में बसने की खातिर,
अपनी मोहब्बत के शिकंजे में इसे कसने की खातिर..
मगर कोई बस नहीं सकेगा इस दिल के मंदिर में,
मेरे दिल को लगेगा कि आए हैं वो मुझे डसने की खातिर..
कल तुम चली जाओगी……..।
जब लौटोगी वापिस, उजड़ा हुआ पाओगी मुझे,
सांसें तो चल रही होंगी पर उखड़ा हुआ पाओगी मुझे।
होंगे बहुत से प्रश्न खड़े,तुम्हारे दिल के धरातल पर,
लेकिन तुम गमों से जकड़ा हुआ पाओगी मुझे..
कल तुम चली जाओगी……….।
#सौरभ जैन(उज्जवल)
परिचय : रचनाकार बनाने की दिशा में सौरभ जैन का प्रयास जारी है। रामपुर मनिहारिन( जिला-सहारनपुर) के निवासी हैं और बी.कॉम.कर लिया है। २२ वर्ष के सौरभ शायरी व छंदमुक्त काव्य रचना को अधिक पसंद करते हैं।