क्षमा भाव मन में धारण,कर ले ओ भोले प्राणी,
कर दे क्षमा तू सबको,खुश होगी जिंदगानी …. ।
नफरत के बीज बोए,काँटों से दिल लगाया,
सोचा न एक पल भी,अपनों का दिल दुखाया। …
मैं हाथ जोड़कर के,मानूं अपनी गलती,
कर दे क्षमा तू मुझको,खुश होती जिंदगानी..
क्षमा भाव मन में धारण , कर ले ओ भोले प्राणी ।।
क्यों करता मेरा-तेरा,कुछ भी नहीं है तेरा,
जब नींद से तुम जागो,समझो तभी सबेरा ….
करके क्षमा तू सबको,खुश कर ले जिंदगानी..
क्षमा भाव मन में धारण , कर ले ओ भोले प्राणी।।
ये जिंदगी गमों की,खुश रहना तुम सीखो,
अपनों से प्रेम करके,अपनों का दिल जीतो….
ये मूल मंत्र जीवन का,तुम सबको ये बता दो…
करके क्षमा तू सबको,खुश कर ले जिंदगानी।।
संजय का ये भजन,सब याद अब तुम रखना,
कर दे क्षमा तू सब को,खुश होगी जिंदगानी।।
‘यदि मानव अपने अहंकार को त्याग कर सच्चे मन से अपने अंदर क्षमा का भाव बना ले,तो संसार और सभी लोगों का जीवन ही बादल जाएगा, क्योंकि क्षमा से बढ़कर दूसरा कोई भी धर्म नहीं हो सकता है।’
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।