Read Time1 Minute, 0 Second
तो ,
हम ,
ने वफा ,
की है पर ,
उसका क्या ,
सिला मिला मुझे ,
दुख रजोगम का ,
बस इक दर्द ,
सिलसिला था ,
य़ा चिराग ,
क्यो था ,
गुल ,
मे ,
मेरे ,
दिल के ,
रोशनी के ,
कोनो से जब ,
की ज़रूरत मुझे ,
थी तुमको मेरी ,
अंधेरा हमे ,
गुम हुई ,
न मिला ,
मुझे ,
ह !
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
Post Views:
662
Mon Jun 4 , 2018
बहर:- 122 122 122 122 रद़ीफ:- की। काफ़िया:- न। सुनाओ उसी को सुने बात मन की। दिखाओ जहाँ में रहे आस धन की।। खिलौना बना हैं मुसाफिर यहा का। न ठहरो वहा पर हिफाजत न तन की।। हरी डाल तोङे उसी को सजा दो। मिले नेक छाया जहाँ छाँव वन […]