बहर:- 122 122 122 122
रद़ीफ:- की।
काफ़िया:- न।
सुनाओ उसी को सुने बात मन की।
दिखाओ जहाँ में रहे आस धन की।।
खिलौना बना हैं मुसाफिर यहा का।
न ठहरो वहा पर हिफाजत न तन की।।
हरी डाल तोङे उसी को सजा दो।
मिले नेक छाया जहाँ छाँव वन की।।
निकालो न पाती लिखी थी जुवा से।
सिखाओ पढ़ा कर गुने सोच जन की।।
किनारे किनारे चला आज उससे।
कहू आज भारत तमन्ना गगन की।।
तपन में जलूगा मुहब्बत सिखाये।
करूं आज बाते सुहाने चमन की
उठूगा गिरूगा चलूगा जहाँ में।
करूंगा हिफाजत यहा पर वतन की।।
लडाई करो दूर मेरा शहर हैं।
दुआ अब करो आज न्यारे अमन की।।
#नीतेन्द्र सिंह परमार ‘भारत’
परिचय : नीतेन्द्र सिंह परमार का उपनाम-भारत है। डी.सी.ए. के बाद वर्तमान में बी.एस-सी.(नर्सिंग) के तृतीय वर्ष की प़ढ़ाई जारी है। आपका जन्म १५ जुलाई १९९५ को बरेठी(जिला छतरपुर, मध्यप्रदेश) में हुआ है। वर्तमान निवास कमला कॉलोनी (छतरपुर)में है। रचनात्मक कार्य में आपके खाते में मुक्तक,गीत,छंद और कविताएं (वीर रस) आदि हैं। शास्त्रीय संगीत एवं गायन में रुचि रखने वाले श्री सिंह मंच संचालन में प्रतिभावान हैं। यह छतरपुर में ही नर्सिंग छात्र संगठन से जुड़े हुए हैं। लेखन और काव्य पाठ के शौकीन नीतेन्द्र सिंह की नजर में समाजसेवा सबसे बड़ा धर्म है, और सबके लिए संदेश भी यही है।