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मैं
ज्ञान
दीपक
अरमान
हर अज्ञान
देता बरदान
जलकर उजेला।।
नवीन कुमार भट्ट।।।।।।।
प्रतियोगिता से इत्तर
ये
हरे
अंधेरा
तेरा मेरा
डाले बसेरा
दीपक जलके
देता नया सबेरा।।
मैं
जला
अगला
पला भला
ज्ञान की कला
है सीखता चला
दीपक पे अगला।।
#नवीन कुमार भट्ट
परिचय :
पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट
उपनाम- “नीर”
वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही
जिला-उमरिया
राज्य- मध्यप्रदेश
विधा-हिंदी
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सच्ची माँ
एक शब्द नहीं एक भाव है माँ,
निश्वार्थ रहे वो लगाव है माँ.
छल कपट युक्त व्यापार नहीं,
कुछ पाने का आधार नहीं.
वो कामधेनु वो कल्प वृक्ष,
गंगाजल जैसा प्रेम स्वच्छ.
वो हाथ वही तो पांव है माँ.
एक शब्द..
होती तो भ्रूणों की भी माँ,
होती तो नागिन भी है माँ.
एक मादा मात्र नहीं है माँ,
है जहाँ ममत्व वहीं है माँ.
कर्तव्य भरा एक चाव है माँ.
एक शब्द..
माँ बेहद कड़वी औषधि है,
माँ माधव जैसी सारथि है.
निर्भीक सद्गुणीं वीर है माँ,
एक धर्म धनुष का तीर है माँ.
निष्कपट सदा वर्ताव है माँ
एक शब्द..
जो साथ रहे वो साया है,
जो पाले वो तो आया है.
शिशु मिट्टी एक कुम्हार है माँ,
हर मैल धोय जलधार है माँ.
जो ममता से नासूर हुआ,
वो बहुत पुराना घाव है माँ
एक शब्द नहीं एक भाव है माँ
निश्वार्थ रहे वो लगाव है माँ.
रीतेश दुवे, उ.प्र. एटा