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सच को सच अब लिख नहीं पाती कलम
सिस्टम के आगे आखिर कब तक गिड़गिड़ायेगी कलम
तलवार की धार सा जो लिखे कलम
तो टूटकर भी अमर हो जाएगी कलम
दुनिया की किसी भी कीमत पर न बिचे कलम
तो सदियों तक सूरज सी तपती रहेगी कलम
सच को सच जब-जब लिखेगी कलम
ढेरों मुकदमों से डराई जाएगी कलम
एटम बम से भी हजार गुना ताकतवर है कलम
अगर मौत की छाती पर क्रांति लिखती रहे कलम
बडा गौरवमयी है इतिहास तेरा कलम
सत्ता की चरण वंदना मत करना कलम
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा
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