व्यर्थ न हो जल की बरबादी

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tara datt
जल की बूंदें जीवन   धारा,
जल से जीव जगत है सारा।
                जल से धरती की हरियाली,
                जल ही भोजन की  थाली।
हृदय में धड़़कन  है  जल की,
जलहै जीवन आशा कल की।
         .       जल ही तो  जीवन है  साथी,
                 व्यर्थ न हो जल की बरबादी।
 सागर में हलचल है जल की,
 मेघों में  गर्जन  है जल  की।
                    धारे ,झरने, झीलें जल से,
                    जल से घर घर में नलके।
जल से नदियाँ ,ताल ,सरोवर,
जल तो है, अनमोल धरोहर।
                     बूंद-बूंद,  अनमोल है  साथी,
                     व्यर्थ न हो जल की बरबादी।
व्यर्थ बहाएंगे,  यदि  जल को
सोचो!क्या होगा फिर कल को?
                   जल की कीमत, जाननी होगी
                    हर एक बूंद बचानी होगी।
आओ मिल सब करें उपाय,
जल  बरबाद  न  होने पाय।
                 बूंद -बूंंद,  जीवन  है  साथी
                 व्यर्थ न हो जल की बरबादी।
वन अनमोल है,उन्हें बचाएं,
वृक्ष लगा  हरियाली  लाएं ।
              .      एक बूंद  भी   व्यर्थ, ना  बहे
                      घर का नलका खुला ना रहे।
संचित करलेंं  वर्षा जल को
काम यही आएगा कल को।
                    मन में निश्चय करलें साथी,
                    व्यर्थ न हो जल की बरबादी।

नाम-तारा दत्त जोशी

जन्म तिथि-02-10-1968

वर्तमान पता- ऊधमसिंह नगर
राज्य-उत्तराखंड
कार्य क्षेत्र-अध्यापन
विधा-कविता, कहानी,लेख
प्रकाशन-विज्ञान कविताए सी. एस .आई .आर,रा .ज.वि. सं व .वि.  बु.से प्रकाशित, विभिन्न बाल पत्रिकाओं में विज्ञान कथाएं व कविताएं प्रकाशित एवं हिंदी कहानियां प्रकाशित।हिंंदी कहानी सर्टिफिकेट तेलुगु में अनुवादित।
पुस्तक -एक पुस्तक “शगुन गीत”प्रकाशित 

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