गुरू तुम महान हो 

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rikhabchand
गुरु तुम महान हो,
अमृत गुणों की खान हो।
तरुण तुम प्रतीक तुम,
गुरु पुष्पदंत समान हो।
ज्ञानी तुम त्यागी तुम,
हृदय विशाल हो।
भाग्य तुम भविष्य तुम,
भूत वर्तमान हो।
भक्ति तुम शक्ति तुम,
तुम प्रभु समान हो।
तेज तुम शीतल तुम,
तुम प्रकाशवान हो।
वीर तुम धीर तुम,
तुम शीलवान हो।
चरित्र तुम पवित्र तुम,
जैन धर्म की शान हो।
‘रिखब’करे नमन तुम्हें,
तुम स्वर्ग से महान हो।

         #रिखबचन्द राँका

परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl  

Arpan Jain

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