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मोहब्बत को होंठों से
पीने का सलीका सिखा।
परेशां हैं लोग बहुत,तू मुझे
जीने का सलीका सिखा।
मोहब्बत को…॥
हो न जाए सरेआम
सड़कों पर नीलाम।
जरा तहजीब से पेश आ
मोहब्बत करने का सलीका सिखा।
मोहब्बत को…॥
और दे न पाया अब तलक
कोई खत उसे।
इजहारे मोहब्बत का
जरा लफ्ज़ों को
लिखने का सलीका सिखा।
मोहब्बत को…॥
और जैसे भी हो निभ सके
ता उम्र ये रिश्ता।
गम को घोलकर जाम में
पीने का सलीका सिखा।
मोहब्बत को…॥
#अजय जयहरि
परिचय : अजय जयहरि का निवास कोटा स्थित रामगंज मंडी में है। पेशे से शिक्षक श्री जयहरि की जन्मतिथि १८ अगस्त १९८५ है। स्नात्कोत्तर तक शिक्षा हासिल की है। विधा-कविता,नाटक है,साथ ही मंच पर काव्य पाठ भी करते हैं। आपकी रचनाओं में ओज,हास्य रस और शैली छायावादी की झलक है। कई पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन होता रहता है।
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Wed Feb 7 , 2018
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