जय-जय भारत

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amitabh priydarshi
६९ वें गणतंत्र दिवस पर, 
भारत माता को मेरा नमन 
मातृभूमि तुझको नमन,
हे मातृभूमि तुझको नमन
यशगान करते धरती-गगन।
स्वर्ग-सा संवरा हुआ यह,
प्यारा-सा अपना वतन।
 
हैं फूल इसमें भिन्न-भिन्न,
पर एक में बिंधे हुए हैं।
खुशबू मिलती एक-सी,
हम एक संग गुंथे हुए हैं।
 
मुकुट बन नभ गर्व करता,
सागर चरण को पूजता है।
कण-कण में है ओज इसके,
जो धरती-गगन में गूंजता है।
 
हो चुकी कई बार कोशिश,
इसकी हस्ती को मिटा दे।
है नहीं कोई जहां में जो,
इसका कण भर भी घटा दे।
 
वीर इसके सपूत इस पर,
खुद को न्यौछावर हैं ये करते।
बेटियों में ओज इतना,कि
पल में खुद को जौहर वो कर देंं।
 
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
किए दुश्मनों के भेद हैं ये।
बात हो जब देश की तो,
हर जगह समवेत है ये।
 
न कोई फिरकापरस्ती,
न कोई है भेदभाव।
एक सबकी भारत ये माता,
एक सबका है देश-गांव।
 
आंख कोई आज भी, 
हमको दिखा सकता नहीं है।
छू ले मां के आंचल को इतना,
दम कोई रखता नहीं है।
 
हम थे और हम ही रहेंगे,
संसार जब तक ये रहेगा।
जय-जय भारत जय प्रणेता,
जग का कण-कण भी कहेगाll 

#अमिताभ प्रियदर्शी 

परिचय:अमिताभ प्रियदर्शी की जन्मतिथि-५ दिसम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-खलारी(रांची) है। वर्तमान में आपका निवास रांची (झारखंड) में कांके रोड पर है। शिक्षा-एमए (भूगोल) और पत्रकारिता में स्नातक है, जबकि कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता है। आपने कई राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक अखबारों में कार्य किया है। दो अखबार में सम्पादक भी रहे हैं। एक मासिक पत्रिका के प्रकाशन से जुड़े हुए हैं,तो  आकाशवाणी रांची से समाचार वाचन एवं उद्घोषक के रुप में भी जुड़ाव है। लेखन में आपकी विधा कविता ही है। 
सम्मान के रुप में गंगाप्रसाद कौशल पुरस्कार और कादमबिनी क्लब से पुरस्कृत हैं। ब्लाॅग पर लिखते हैं तो,विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा रेडियो से भी रचनाएं प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज को कुछ देना है

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