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मेरी गुरु
जिंदगी,
उसी ने सिखाया
मौन की कीमत,
शब्द की सीरत
उसी ने दिखाया,
अंतर का भाव
बाहर का भराव,
उसी ने समझाया
अपना कौन ?
पराया कौन ?
उसी ने चुने
अंधेरे भी,
उजाले भी
और मैंने,
एक आज्ञाकारी
शिष्या बन
मानी हर सीख।
मुझे माँजा
उसी ने,
मेरी गुरु
ज़िंदगी।
#विजयलक्ष्मी जांगिड़
परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़ जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।
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Wed Jan 31 , 2018
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