है चपल नदी की धार, सतत बहती कल-कल। स्थिर रहे तो होती वह पावन और निर्मल। और तड़ित भी गगन में विहरे चंचल-चपल बन। जब व्योम में छाते हैं काले वारिद सघन घन। अग्नि भी है धधकती, धरा पर चंचला सी ना कोई समझे इन्हें, यहां महज अबला सी। नदी […]

मैं भी तुम्हारी देह में, मोगरे और गुलाब की खुशबू ढूंढ़ना चाहता हूँ, जैसा दूसरों को महसूस होता है। तुम्हारी हँसी से, झरते हरसिंगार देखना चाहता हूँ, जैसा दूसरे कहते हैं। तुम्हारी चाल में, हिरणी की कुलांचों को समझना चाहता हूँ। और आवाज…? आवाज कोयल सी सुनना चाहता हूँ। सभी […]

नजर चुरा कर तुम यूं न बैठो, तुम्हारी नजरों पर नजर है मेरी। सहज नहीं है मुझे यूं भूल जाना, तुम्हारी सांसों पे जिंदगी बसर है मेरी। कभी हंसा कर थे पास आये, और अब रुला कर तुम जा रहे हो। भले ज़माना तुम्हे कुछ भी कह ले, पर रात-दिन […]

आया फागुन बदला मौसम, खिल गई धरती और खिले हम। विहंसी नदिया सात समंदर, साज सजे धरती नित सुंदर। फूली सरसों,गेहूं हरसाया, चना-मटर संग रास रचाया। मादकता भरी हवा के अंदर, साज सजे धरती नित सुंदर। सहज प्रेम का मौसम है यह, विरही हृदय कहे कुछ रह-रह। हुआ आबाद जो […]

६९ वें गणतंत्र दिवस पर,  भारत माता को मेरा नमन  मातृभूमि तुझको नमन, हे मातृभूमि तुझको नमन यशगान करते धरती-गगन। स्वर्ग-सा संवरा हुआ यह, प्यारा-सा अपना वतन।   हैं फूल इसमें भिन्न-भिन्न, पर एक में बिंधे हुए हैं। खुशबू मिलती एक-सी, हम एक संग गुंथे हुए हैं।   मुकुट बन […]

पराधीन हो जीना इस जग में किसको भाता है, लेकिन काजल को हर दिन आंखों में सोना आता है। कानों की बाली भी,कानों से बंधकर बजती है। हर युवती की नाक की नथिया भी वहीं पे सजती है। हार भी हंसकर सहज गले का प्यार यहां बन जाता है। कमरधनी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।