कोई काम नहीं…

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naveen

यूँ तो कोई काम नहीं था,
फिर भी तो आराम नहीं था।

तन की ही कीमत ज़्यादा थी,
मन का कोई दाम नहीं था।

उसने जितना नाम कमाया,
जितना उसका नाम नहीं था।

अपने घर से अच्छा जग में,
कोई और मुक़ाम नहीं था।

सोच-इरादे लाखों सारे ,
बस उनका अंजाम नहीं था।

matruadmin

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3 thoughts on “कोई काम नहीं…

  1. अपने घर से अच्छा जग में
    और कोई मुकाम नहीं था।
    बहुत खूब

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