Read Time1 Minute, 29 Second
आज फिर बहते अश्कों को,
चुपके से दामन थमा गया।
तड़पती रुह को नरम हाथों,
से थपकी दे सुला गया॥
ख्वाब को ख्वाब दिखा फिर,
रात की चाँदनी से सजा गया।
थकी पलकों पर लबों की,
छुअन दे हौले से झपका गया॥
मन की गली में धीरे-धीरे,
गीत सजा गया।
सोई-सी जिंदगी थी,
फिर जगा गया॥
चाहतों की इक फेहरिस्त,
बना हाथों में थमा गया।
गुजरे हुए लम्हों के
पेंच फिर लड़ा गया॥
किस-किस बात का बयां,
ये दिल करे ‘नील’।
आरजू ले मिलन की मन,
शहर का सफर फिर लगा गया॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
Post Views:
668
Sat Oct 28 , 2017
जन्म तो दिया तुझे पर बड़ा करूँ कैसे, डर लगता है जालिमों से मैं तुझे समझाऊँ कैसे। है पग-पग आडम्बर खड़ा है मानव दैत्य बनकर, तू ठोकर न खा ले कहीं ये डर तुझे बताऊँ कैसे। भविष्य तो मैं बना दूंगी तुझे मंजिल तक पंहुचा दूँगी, पर ब्याह के बाद […]