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सुकून-ए-दिल जानने को इतना काफी है।
बिस्तर की मेरे आकर सिलवटें गिन जाना॥
ये रात गवाह है मेरी इससे ही पूछ लेना।
फिर भी यकीं न आए मेरी करवटें गिन जाना॥
मेरा दर्द ‘अमित’ कितनी हदों को पार कर आया।
कभी भूलकर आओ तो वो हदें गिन जाना॥
#अमित शुक्ला
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