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देश अपना वेश अपना,
हर ओर परिवेश अपना।
जमीं आकाश अपना है,
मुक्त उड़ान भरो नभ में…
पूरा करना अब सपना है॥
छोड़कर छोटी बातें अब,
सृजन का पथ संवार लो।
देश धरा पर बिखरी हुई,
सब संपदा संभाल लो॥
संस्कृति की शालीन धरोहर,
संस्कारों के अमूल्य मोती।
चमक रही जिसमें हर पल,
जीवन की अनुपम ज्योति॥
सत्य अहिंसा प्रेम दया,
सब संजीवनी औषधि यहाँ।
सेवाभाव व भाईचारा,
आदर्श पनपते हैं जहाँ॥
साथ रहें साथ बढ़े हम,
गम खुशियाँ साथ होगी।
आसान हो जाएंगी राहें,
मंजिलें मुश्किल न होंगी॥
#पुष्पा शर्मा
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
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Tue Jan 9 , 2018
श्रीनाथद्वारा। राजस्थान में श्रीनाथद्वारा के हिंदी सेवा के प्रखर साधक तथा पूर्ण समर्पित व्यक्तित्व स्व. भगवती प्रसाद देवपुरा की स्मृति में १९३७ से स्थापित संस्था साहित्य मंडल(श्रीनाथद्वारा) द्वारा इंदौर की साहित्यकार डॉ.चन्द्रा सायता को ‘काव्य कुसुम’ उपाधि से सम्मानित किया गया। आपको शाल-श्रीफल, उत्तरीय-कण्ठहार,श्रीनाथजी की मोती- जड़ित फ्रेम की हुई […]