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चला गया २०१७,
निकालते रहो निष्कर्ष
लो आ गया २०१८ नव वर्ष।
किसी को मिला दुःख
किसी को मिला हर्ष,
किसी का भरा रहा
किसी का रहा खाली पर्स,
किसी की जिंदगी
आसानी से आगे बढ़ी
किसी का खत्म न हुआ संघर्ष,
किसी के अपने छूटे
किसी के सपने टूटे,
किसी से कोई जुड़ गया
किसी से अपने रूठे,
किसी ने साथ जीने-मरने की
कसमें खाई,
किसी के साबित हुए
वादे झूठे,
हर क्षेत्र में माहिरों ने
की खड़ी दुकानें
क्या समझे सीधे-साधे,
लगे रहे इन्हें लुभाने,
किसी से दौलत नहीं
सम्भल रही,
वहीं किसी के पेट में
भूख मचल रही ,
फिर भी सत्रह में,
खुश हो जीए
एकता अखण्डता,
प्रेम का जाम पीए॥
लो आ गया १८,
वर्ष २०१८ का अभिनन्दन
करें सब वन्दन,
दो हाथों को काम मिले
दुश्मनी हो कोसों दूर,
हृदय में प्रेम के पुष्प खिले
प्रेम के तीर मारो हृदय पर,
ऐसे तीर मारक हो
कहे ‘उपमन्यु’
वर्ष २०१८ आप सभी के लिए
‘सुखकारक’ हो।
तो छा गया सभी में हर्ष,
अभिनन्दन-अभिनन्दन तेरा
ऐ २०१८ नव वर्ष॥
#सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।
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Mon Jan 1 , 2018
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