भाषा गीत

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sanjeev
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम,
भारत की माटी,हिंदी से प्यार करें हम।
भाषा सहोदरी होती है हर प्राणी की,
अक्षर-शब्द बसी छवि शारद कल्याणी की।
नाद-ताल,रस-छंद,व्याकरण शुद्ध सरलतम,
जो बोलें,वह लिखें-पढ़ें विधि जगवाणी की।
संस्कृत-पुत्री को अपना गलहार करें हम,
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम।
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम…।
अवधी, असमी, कन्नड़, गढ़वाली, गुजराती
बुन्देली,बांग्ला,मराठी,बृज मुस्काती।
छत्तीसगढ़ी,तेलुगू,भोजपुरी,मलयालम,
तमिल,डोगरी,राजस्थानी, उर्दू भाती।
उड़िया, सिंधी, पंजाबी गलहार करें हम,
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम।
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम…।
देवनागरी लिपि,स्वर-व्यंजन,अलंकार पढ़,
शब्द-शक्तियाँ,तत्सम-तद्भव,संधि,बिंब गढ़।
गीत,कहानी,लेख,समीक्षा,नाटक रचकर,
समय,समाज,मूल्य मानव के नए सकें मढ़।
देश,विश्व,मानव,प्रकृति-उद्धार करें हम,
हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम।
भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम…।
                                                   #संजीव वर्मा सलिल

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