टंगी है
दीवाल पर,
तस्वीर दादा पर दादा की
धूल-मिट्टी उस पर
कर रही राज,
चला रही शासन।
जाले मकड़ी के
इर्द-गिर्द,
जैसे दबा रहे उसे
चंगुल में,
खामोश निशब्द तस्वीर
सह रही,
जुल्म नए-पुराने
यूं ही
हँसते,मुस्कुराते,
पर हम नहीं देख पा रहे
बुजुर्गों को
तस्वीर की गहनशीलता कोll
#अशोक बाबू माहौर
परिचय:अशोक बाबू माहौर का जन्म १० जनवरी १९८५ को हुआ हैl मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की तहसील-अम्बाह के ग्राम-कदमन का पुरा में आप रहते हैंl लेखन में हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में संलग्न हैंI कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैंI किताबें पढ़ना और स्वतंत्र लेखन करना आपकी अभिरुचि का विषय हैI सम्मान के रूप में ई-पत्रिका की ओर से विशेष मान्यता सम्मान २०१४-१५ से अलंकृत किए जा चके हैंI