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अँधेरें में तेरी रोशनी पाकर,
हर शख्स सम्भलता है।
तेरी खूबी ये है ‘चाँद’
तू सबके साथ साथ चलता है।
भले ही दाग हो,
तेरे चेहरे पर काला।
न जाने क्यूँ हर शख्स
तुझसे मिलने को मचलता है।
न जाने कितनी अंगुलियाँ,
उठी होगी आज तलक।
तुझ पर,पर तू है कि हर रोज
शाम होने के बाद मिलता है॥
#अजय जयहरि
परिचय : अजय जयहरि का निवास कोटा स्थित रामगंज मंडी में है। पेशे से शिक्षक श्री जयहरि की जन्मतिथि १८ अगस्त १९८५ है। स्नात्कोत्तर तक शिक्षा हासिल की है। विधा-कविता,नाटक है,साथ ही मंच पर काव्य पाठ भी करते हैं। आपकी रचनाओं में ओज,हास्य रस और शैली छायावादी की झलक है। कई पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन होता रहता है।
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Mon Oct 9 , 2017
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